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आम आदमी पार्टी राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष एवं किसान महापंचायत राष्ट्रिय अध्यक्ष रामपाल जाट








































जयपुर. आम आदमी पार्टी राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष एवं किसान महापंचायत राष्ट्रिय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बुधवार को आये राज्य सरकार के बजट में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा की “ महात्मा गांधी के 150 वें वर्ष के उपलक्ष में राजस्थान के गांधीवादी मुख्यमंत्री से इस बजट को किसान एवं ग्रामोन्मुखी व्यवस्था बनाने के संकेत की अपेक्षा थी. किन्तु यह वैसा बजट नही हैए फिर भी पिछली सरकारों द्वारा अर्थव्यवथा को कमजोर करने के उपरांत यह पहला बजट सराहना योग्य है. “

गांधी दर्शन के अनुसार गांव में स्वायत्तता एवं कृषि मे स्वावलंबन की दिशा से भी यह बजट भटका हुआ है इस बजट मे समाज के अंतिम व्यक्ति को भी केंद्र में नहीं रखा गया है. गांधी दर्शन के अनुसार राज्य के लिए बनने वाली योजनाओं का आधार लाभांवित होने वाली जनसंख्या की गणना गांव के समहू, पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायतो के आधार पर की जानी चाहिए किन्तु ग्राम को शहर के सामानांतर रखते हुए योजना पूर्व की भाति ही बनाई गई है. उसके कारण गांव एवं शहर की जनसँख्या का 9 रू 1 से 6 रू 1 की ओर जा रहा है. इस गांव उजाडा नीति को समाप्त करने का इस बजट मे संकेत नही है.

वरिष्ठ किसान नेता रामपाल जाट ने कहा की गरीब को छप्पर के स्थान पर गरीब को छप्पर बनाने में सक्षम बनाने के लिए किसान मजदूर गांव की आय बढ़ाने एवं पसीने का पारिश्रमिक देने के लिए आय की विषमता को कम करने की दिशा का अभाव है  एक दिन की सरकारी कर्मचारियों की औसत आय 1704 रूपए है तथा किसानों की एक दिन की आय 43 रूपए है ! इसके कारण कृषि एवं गावो से पलायन हो रहा है!ए इसे रोकने के लिए इस बजट में कोई प्रावधान नहीं है! इसी का परिणाम है कि डॉक्टर ऍम एस स्वामी की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय कृषक आयोग की अनुशंसा के अनुसार किसानों की आय कर्मचारियों के समान करने के लिए किसानों को उनके उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य दिलाने की चर्चा नहीं है! इसके लिए कृषि उपजो के न्यूनतम समर्थन मूल्य डेड गुणा बढ़ा कर खरीद की गारंटी का कानून बनाने का भी बजट मे उल्लेख नहीं है ! इसी प्रकार मजदूरों की आय बढ़ाने की दिशा में मनरेगा को कृषि से जोड़ने तथा योजना के अतिरिक्त आधी राशि का कृषि कार्य से भुगतान कराने को अनदेखा किया है !  तीसरी ओर नये उद्योग क्षेत्र के स्थान पर कृषि आधारित उधोगो की स्थापना कर प्रत्येक गांव को उद्योग क्षेत्र बनाने की नीति की घोषणा नहीं है!  जबकि युवाओं को स्वरोजगार की घोषणा की क्रियान्विति का यह उत्तम मार्ग है!

ग्राम पंचायत पर भंडारण के लिए गोदाम एवं शीत गोदामए प्रयोगशालाएए तथा ग्रेडिंग के उपकरणों को रखने की व्यवस्था की अनदेखी की गई है ! जबकि कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन की दिशा में यह सही कदम होताए इससे गांव का किसान भी अपने उत्पाद का निर्यात करने मे सक्षम बनता जिससे उसकी आय बदोतरी होती !

प्रदेश की आर्थिक स्थिति दयनीय होते हुए भी मूलभूत अवसरचना में कृषिए सड़कए बिजलीए पानी चिकित्सा.स्वास्थ्यए शिक्षाए सिंचाईए जलवायु परिवर्तनए पर्यावरणए रोजगार की दिशा में यह बजट सही दिशा मे सही कदम है जो केंद्र के बजट की अपेक्षा अधिक जनकल्याणकारी प्रतीत होता है ! किसानो के लिए किसान 1000 करोड़ रूपये का किसान कल्याण कोष बनाने की दिशा तो सही है किन्तु आवश्यकता की तुलना मे राशी छोटी है ! राजस्व कानूनों मे संशोधन समय की आवशकता हैए इसका क्रियान्वयन किसान हित मे होने पर किसानो को लूट एवं अपमान से मुक्ति मिलेगी ! इसी प्रकार पारिवारिक कृषि भूमि एवं अन्य सम्पतियो के बटवारे एवं अंतरण मे स्टाम्प ड्यूटी को शून्य करना न्यायोचित है किन्तु इसी दिशा मे कृषि जोतो के आकर को छोटा होने से रोकने के लिए बटवारेए अदला.बदली से एकीकरण एवं हक़त्याग आदि को निशुल्क एवं सरल बनाना भी आवशक है !


        शराब बंदी के लिए शहीद हुए गुरु शरण छाबड़ा के नाम पर सूरतगढ़ महाविद्यालय का नामकरण शराब को हतोत्साहित करने वाली सच्ची श्रधांजलि है.

अच्छा होता इस बजट मे चुनावी घोषणापत्रो के अनुसार कृषि के लिए अलग बजट होता ! यदि राज्य में व्यवस्था परिवर्तन से भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल जावे यह बजट राजस्व एवं राजकोषीय घाटे से मुक्त होकर आकार में भी दिल्ली की भांति 2 गुना हो सकता है.

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