हीरालाल चौधरी) बीते एक सप्ताह की कुछ घटनाओं ने जिन्हें काफी आहत किया था, मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से उन्हें जरूर कुछ राहत मिली होगी। प्रधानमंत्री का यह कहना कि मनमानी नहीं चलेगी, काफी उम्मीद बंधाता है। बेशक उन्होंने भाजपा संसदीय दल की बैठक में इंदौर की उस घटना का जिक्र नहीं किया, जिसमें पार्टी के एक विधायक ने एक नगरपालिका अधिकारी को सरेआम क्रिकेट बैट से न केवल पीटा, बल्कि बाद में उसे जायज ठहराते हुए यह भी कहा कि उन्होंने जो किया, काफी सोच-समझकर किया। जिस समय वह अपने कर कमलों द्वारा किए गए इस कृत्य को जायज ठहरा रहे थे, उस समय उनके इस काम का वीडियो सोशल मीडिया पर देखे जाने के तमाम रिकॉर्ड तोड़ रहा था। हंगामा बढ़ने पर विधायक को गिरफ्तार कर लिया गया और फिर जब वह जमानत पर छूटे, तो पार्टी के कुछ लोगों ने उनके स्वागत के लिए बाकायदा एक आयोजन कर डाला।
जिस विधायक ने इस काम को अंजाम दिया, उनका एक और परिचय यह है कि वह भाजपा के एक वरिष्ठ केंद्रीय पदाधिकारी के सुपुत्र भी हैं। और घटना के बाद पिता भी अपने पुत्र का बचाव करते दिखाई दिए थे। मंगलवार का बयान यही बताता है कि इस पूरे घटनाक्रम से खुद प्रधानमंत्री भी उतने ही आहत हैं, जितने देश के अन्य लोग। उन्होंने कहा कि बेटा चाहे जिसका भी हो, ऐसा काम करने वाले को पार्टी से निकाल दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने इसमें यह भी जोड़ दिया कि जिन लोगों ने जमानत के बाद बाहर आने पर उनका स्वागत किया, उन्हें भी पार्टी से निकाल दिया जाना चाहिए। उन्होंने जिस तरह जोर देकर ये बातें कही हैं, उनसे लगता है कि वह सिर्फ औपचारिकता नहीं निभा रहे थे। इसी से उम्मीद भी बंधती है कि उनकी बात का असर दूर तक होगा और सिर्फ भाजपा ही नहीं, अन्य दलों को भी इसे गंभीरता से लेना होगा।
प्रधानमंत्री जब राजनीतिकों की मनमानी और गुंडागर्दी पर सख्त संदेश देते हैं, तो इससे उम्मीद जरूर बंधती है, लेकिन इन प्रवृत्तियों को राजनीति से खत्म करना इतना आसान भी नहीं है। यह किसी एक पार्टी या प्रदेश की समस्या भी नहीं है। लगभग हर पार्टी और हर प्रदेश इस समस्या से ग्रस्त है। कुछ प्रदेशों में यह समस्या कभी-कभार ज्यादा ही दिखाई देने लगती है, लेकिन है सभी जगह। यह कोई आजकल में पैदा हुई समस्या नहीं, बल्कि बहुत पुरानी है और इसलिए इसकी जड़ें हर जगह और बहुत नीचे तक हैं। राजनीति के बहुत निचले से लेकर बहुत ऊपर के स्तर तक यह हर जगह देखी जा सकती है।
जाहिर है, ऐसी समस्या को खत्म करना आसान नहीं होगा। फिर भी इस समस्या को खत्म करने की सबसे ज्यादा उम्मीद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही बांधी जा सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मोदी को सीधे जनता के विशाल बहुमत का समर्थन हासिल है। वह उन क्षत्रपों की तरह नहीं हैं, जिनकी राजनीति इस तरह के बाहुबल से ऑक्सीजन हासिल करती रही है। देश में राजनीतिक गुंडागर्दी कोई छिपी हुई चीज नहीं है। लोग भी इस हकीकत को अच्छी तरह जानते हैं और ऐसी ही कुछ उम्मीदों से विशाल जनादेश दिया था। इसीलिए मोदी का मंगलवार का बयान राहत देता है। लेकिन असल राहत की ओर हम तब बढ़ेंगे, जब ऐसे संकल्प समाज की हकीकत बन जाएंगे।
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