हिंडौन सिटी। जी हां मौजूदा राजनीतिक पररिप्रेक्ष्य में आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या नेताओं के कहने से मात्र से सरकारी नौकरियां बांटी जाती रहेंगी। ऐसा है तो खत्म कर दो सरकारी नौकरियों के लिए योग्यता का निर्धारण और तय कर दो कि किस नेता के कहने से कितनी सरकारी नौकरियां बांटी जाएंगी। यह कटु सत्य है कि नेताओं की सिफारिश पर सरकार की ओर से बांटी जा रही सरकारी नौकरियों से कहीं ना कहीं योग्यता का दमन हो रहा है। नेता की सिफारिश से जिस पद पर सरकारी नौकरी दी गई है, उस पद पर निश्चय ही नेता या सरकार की सिफारिश नहीं होने पर योग्य व्यक्ति की नियुक्ति होती, लेकिन नेता की सिफारिश से कहीं ना कहीं योग्यता का गला घोटा जाता है। आखिर यह कब तक चलता रहेगा।
जनता की गाढ़ी कमाई को अपनी सुख-सुविधाओं पर खर्च करने वाले नेताओं अथवा सत्ता के ठेकेदारों की सेहत पर इससे भले ही तनिक भी असर नहीं पड़े, लेकिन दिन-रात कड़ी मेहनत कर पढ़ाई करने वाले युवक-युवतियों का एक पद के लिए दमन अवश्य हो रहा है। फिलहाल यह ताजा प्रश्न देवली- उनियारा क्षेत्र में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए बजरी ट्रैक्टर- ट्रॉली चालक के ड्राइवर की पत्नी को क्षेत्र के दो विधायकों की मांग पर सरकार के मंत्री रमेश मीणा द्वारा दिए गए आश्वासन से उठा है। इससे पहले भी अलवर के थानागाजी की गैंगरेप पीड़िता के परिजनों के आक्रोश को सरकार ने पीड़िता को पुलिस में सरकारी नौकरी देकर शांत किया था। इससे पहले भी आरक्षण आंदोलन के मृतकों को सरकारी नौकरियां बांटी गई।
नेताओं के कहने से सरकारी नौकरियां बांटना कहां तक उचित है। इस मुद्दे पर हमने हिंडौन के संभ्रांत छात्र, युवा,महिला एवं विभिन्न जागरूक लोगों से राय जानीं। पेश है एक रिपोर्ट।
रीयल टैक कंप्यूटर निदेशक सुनील सिंघल ने कहा कि निश्चित रूप से जिन लोगो के साथ दुखद घटनाएं हुई हैंउन्हें कौशल प्रशिक्षण, दुकान का आवंटन, राशन या सेवा केन्द्र का आवंटन, ब्याज मुक्त ऋण व सब्सिडी देकर स्वावलम्बन के लिए सहयोग प्रदान किया जाना चाहिये। लेकिन योग्यता को दरकिनार कर नौकरियों की रेवड़ियां बांटकर हम क्या संदेश देना चाहते हैं? लाखों युवा दिन अपनी योग्यता के आधार पर रात दिन एक करके सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे हैं उनके भविष्य का क्या होगा?
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छात्रा पायल श्रीवास्तव ने बताया कि पूरे देश में दुर्घटनाओं की संख्या सरकारी नौकरियों की तादाद से भी ज्यादा होती हैं वो दिन दूर नहीं जब हर दुर्घटनाग्रस्त परिवार नौकरी की मांग करेगा। यदि राजनेता संवेदनाओं के नाम पर सबको नौकरियां देने लगे। तब कड़ी मेहनत करने बाले युवाओ का भविष्य क्या होगा ? नेताओ की सिफारिस पर सरकार नौकरिया बाँट रही है| जिससे प्रतिभावान युवाओ की योग्यता को सरेआम कुचला जा रहा है |
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कॉम्पीटिशन की तैयारी करने बाले छात्र पीयूष जांगिड का इस मामले में कहना है की गंभीर घटनाओं से पीड़ित परिजनों को निश्चित ही सरकार आर्थिक संबल प्रदान कर सकती है | जनप्रतिनिधियों द्वारा दुर्घटनाग्रस्त परिवार को राजनीतिक संवेदनाओं के समय सरकारी नौकरी देकर वर्ग विशेष को प्रभावित करने की राजनीति का बढ़ता चलन धीरे धीरे करके नासूर बनता जा रहा है। नेताओ की सिफारिश से मिल रही नौकरी से योग्यता का खुले आम गला घोटा जा रहा है|
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अपराध निवारक संगठन के अध्यक्ष गिरधर स्वरूप लवानिया ने बताया कि अगर सरकार इस प्रकार से रेवडियो की तरह नौकरियां बांटेगीं तो निश्चित ही प्रदेश मे झूठे मुकदमे दर्ज होगे। जिससे कडी मेहनत लगन से अपने लक्ष्य को हासिल करने वाले युवाओं के साथ सीधा सरकार द्वारा छलावा होगा। सरकार द्वारा पीडित परिजनों को आर्थिक सहायता देकर लाभ पहुंचाना चाहिए। अगर इसमे राजनितिक इस्तेमाल होगा तो वो गलत है।
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