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केबीनो में संचालित मेडिकल स्टोरो पर कार्यवाही के नाम पर की इतिश्री ड्रग लाइसेंस निरस्त के बजाय किया निलंबित इंदिरा मेडिकल पर कार्यवाही श्री महावीर मेडिकल को नोटिस तक नहीं दिया इंदिरा मेडिकल का ड्रग लाइसेंस 15 दिन के लिए निलंबित एसीएस चिकित्सा को शिकायत के बाद हरकत में आया ड्रग विभाग













































निवाई । (विनोद सांखला) राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय के मुख्य गेट पर नियमों को ताक में रखकर अवैध रूप से केबिनो में संचालित मेडिकल दुकानो पर ड्रग विभाग ने कार्यवाही के नाम पर एक दुकान का ड्रग लाइसेंस 15 दिन के लिए निलंबित कर इतिश्री कर ली जबकि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट नियमावली 1940 व 1945 के अनुसार कार्यवाही की जाती तो दोनों दुकानों का लाइसेंस हमेशा के लिए निरस्त किया जाता लेकिन ड्रग विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते अधिकारियों ने मामूली कार्यवाही कर मामले को दबाने का प्रयास किया है प्राप्त जानकारी के अनुसार निवाई सामुदायिक चिकित्सालय के बाहर केबिनो में संचालित इंदिरा मेडिकल स्टोर व श्री महावीर मेडिकल स्टोर पर  15 नवंबर  2018 को शिकायत होने पर  औषधि नियंत्रक अधिकारी ने  जांच की थी और  उस में पाई गई कमियों  की रिपोर्ट  उच्च अधिकारियों को  सौंप दी गई थी लेकिन  रिपोर्ट  देने के बावजूद  अधिकारियों ने  कोई कार्यवाही  नहीं कर 6 माह तक मामले को दबाने का प्रयास किया शिकायतकर्ता ने अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को शिकायत दी तब अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग रोहित कुमार सिंह के आदेशों के बाद हरकत में आया ड्रग विभाग ने इंदिरा मेडिकल स्टोर  का तो ड्रग लाइसेंस 1 जुलाई 2019 से 15 जुलाई 2019 तक के लिए निलंबित कर दिया जबकि श्री महावीर मेडिकल स्टोर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई जो संदेह पैदा करता है  ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट  1940  व 1945  के अनुसार  एवं  औषधि  नियंत्रक अधिकारी  की जांच रिपोर्ट  पर  गंभीरता से कार्यवाही की जाती  तो  उक्त मेडिकल स्टोरो का लाइसेंस  हमेशा के लिए निरस्त किया जाता

यह मिली कमियां :-
औषधि नियंत्रक अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में लिखा की शिकायतकर्ता को दी गई दवाइयां एवं डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाइयां के साल्ट अलग अलग पाया गया उन्होंने जांच रिपोर्ट में बताया कि दुकान की छत टीन शेड से बनी हुई है जिससे दवाइयों का तापमान मेंटेन नहीं रखा जा सकता ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 1945 के अनुसार दुकान का क्षेत्रफल 1 20 वर्ग फिट होना चाहिए लेकिन इंदिरा मेडिकल का एरिया लगभग 90 वर्गफीट ही है और श्री महावीर मेडिकल का तो मात्र 49 वर्ग फिट  ही है शेड्यूल एच 1 की दवाइयों का रजिस्टर में संधारण नहीं किया गया था जो गंभीर अपराध है


टीबी की दवाई बेचने पर रखना पड़ता है रिकॉर्ड उक्त दुकानदार द्वारा टी बी की दवाइयां बेचना पाया गया लेकिन दवाइयां नियमानुसार नहीं बेची जा रही थी और न हीं रजिस्टर में उन का संधारण किया जा रहा था और ना  ही प्रतिमाह जिला क्षय रोग अधिकारी को रिपोर्ट भेजी जा रही थी


टी बी की दवाइयों पर सजा का प्रावधान:-
टी बी की दवाइयों का सही तरीके से रखरखाव एवं नियमानुसार पहचान नहीं करने पर गलत तरीके से टी बी की दवाइयां बेचने पर 3 साल तक के कठोर कारावास का प्रावधान है


नहीं करवाया मुकदमा दर्ज :-
ड्रग विभाग के अधिकारियों द्वारा मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ टी बी की दवाइयां गलत तरीके से बेचने वह उसका रिकॉर्ड  जिला क्षय रोग अधिकारी को हर माह नहीं भेजने पर अब तक मुकदमा दर्ज नहीं करवाया गया है जो दुकानदार से मिलीभगत को दर्शाता है नियमानुसार दुकानदार पर मुकदमा दर्ज कराया जाना चाहिए था



कई बार बदला सविधान:-
इंदिरा मेडिकल स्टोर के संचालकों द्वारा अधिकारियों से मिलीभगत कर कई बार संविधान में परिवर्तन करवाया गया जबकि संविधान परिवर्तन का कोई नियम नहीं है बिना नियमों के 17 नवंबर 2001 व 17 नवंबर 2012 को संविधान परिवर्तन किया गया । श्री महावीर मेडिकल स्टोर के संचालक द्वारा 8 जनवरी 2013 को संविधान परिवर्तन करवाया गया



झूठे शपथ पत्र पर जारी करवाया लाइसेंस:-
श्री महावीर मेडिकल स्टोर के संचालक लक्ष्मणदास डासवाणी द्वारा 2013 में नया लाइसेंस जारी करवाया तब 10 रुपए के स्टांप पेपर पर शपथ पत्र दिया कि उक्त दुकान मेरी निजी संपत्ति है जबकि उक्त दुकान सार्वजनिक निर्माण विभाग की सड़क सीमा खसरा नंबर 3858 पर अतिक्रमण कर बनाई गई है न्यायालय तहसीलदार निवाई द्वारा सन 2005 में उक्त दुकान पर नोटिस जारी कर सुनवाई की थी और निर्णय देकर उक्त दुकान को तोड़कर बेदखल करने के आदेश दिए थे इसकी संपूर्ण जानकारी मेडिकल स्टोर संचालक के पास होने के बावजूद झूठे शपथ पत्र पर ड्रग लाइसेंस जारी करवा लिया



इनका कहना है 
अस्पताल के गेट पर स्थित श्री महावीर मेडिकल स्टोर वह इंदिरा मेडिकल स्टोर दोनों से दवाई खरीदी गई थी दोनों ने ही दवाई गलत दी थी जिसकी शिकायत अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान को की गई थी जांच अधिकारी द्वारा दोनों दुकानों की जांच कर रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दी गई थी लेकिन कार्रवाई के नाम पर एक दुकान पर कार्यवाही की गई दूसरी को छोड़ दिया गया इसकी शिकायत अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से करूंगा और बताऊंगा कि दुकानदारों को अधिकारियों द्वारा बचाया गया है इन पर दोबारा कार्यवाही करवाई जावे 
- सियाराम शर्मा शिकायतकर्ता


इनका कहना है
मैंने तो गहन जांच कर रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दे दी थी जो-जो कमियां पाई गई मैंने रिपोर्ट में लिख दिया इन पर क्या कार्यवाही की गई है अभी मेरी जानकारी में नहीं है यह उच्च अधिकारी ही बता सकते हैं
 -देवेंद्र केदावत औषधि नियंत्रक अधिकारी टोंक

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