किसानों ने दी आंदोलन को और उग्र करने की चेतावनी।
- करीब 10 से 20 गांव के किसान बैठे धरने पर।
- 3 सूत्री मांगों को लेकर के किसान दे रहे हैं धरना।
- शाखा प्रबंधक को दिया मुख्यमंत्री व सहकारिता मंत्री के नाम ज्ञापन।
गेबाराम चौहान।
जालोर। 26 जून। जिले के सांचौर उपखंड क्षेत्र के दी जालौर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक शाखा अरणाय के अधीन आने वाली ग्राम सेवा सहकारी समिति बिजरोल खेङा चौरा करावङी डांगरा आदि सहकारी समितियों के 700 किसानों के खरीफ 2018 का बीमा राशि अभी तक किसानों के खाते में जमा नहीं होने वह बकाया अन्य किसानों के 2016 17 व 18 के बीमा राशि किसानों के खातों के अंदर 30 जून तक जमा करवाने की मांग को लेकर के किसानों ने बुधवार को शाखा अरणाय कार्यालय के आगे धरना प्रदर्शन कर शाखा प्रबंधक को ज्ञापन दिया गया। किसानों ने 2018 खरीफ का बीमा दिलवाने अन्य वर्षो के बकाया बीमा राशि तुरंत जमा करवाने व ऋण माफी की घोषणा के बाद अभी तक ऋण देना शुरू नहीं करने की 3 सूत्री मांगों को लेकर के अरणाय शाखा के आगे धरना प्रदर्शन किया जा रहा है जिसको लेकर के किसानों के अंदर भारी रोष हैं वह किसानों ने कहा कि अगर समय रहते हमारी मांगे नहीं मानी गई तो हम आंदोलन को और उग्र करेंगे। वही किसानों की सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि किसान अन्नदाता है और इसके साथ में सरकार के द्वारा ऐसी सल कपटे करना अच्छा नहीं रहता है व किसानों ने बताया कि अगर सरकार व प्रशासन ने हमारी ओर समय रहते ध्यान नहीं दिया तो हम भूख हड़ताल करने के लिए भी तैयार रहेंगे व आंदोलन को भी और उग्र करेंगे इस मौके पूर्व जिला परिषद सदस्य नरपत सिंह पूर्व जिला परिषद सदस्य जयराम मांजू महेंद्र सिंह पूर्व सरपंच अरणाय राणाराम विश्नोई चौरा मोहनलाल खिलेरी लियादरा प्रेमाराम लोमरोड जगदीश मांजू साजनराम खिलेरी पूर्व सरपंच खंगाराराम लियादरा सवाई सिंह अरणाय किशनलाल ईशरवाल भूराराम ईशरवाल सहित सैकड़ों किसान मौजूद थे।
इनका कहना -
किसानों की मांग है यह राज्य स्तर का मामला है इनका हमने ज्ञापन स्वीकार करके हमारे उच्च अधिकारियों व संबंधित विभागों को मेल के द्वारा प्रेषित कर दिए गए हैं ।
सियाराम मीणा, शाखा प्रबंधक
दी जालौर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक शाखा अरणाय।
हमने आज बुधवार से अरणाय शाखा के आगे धरना प्रदर्शन शुरू किया गया है। हमारी तीन सूत्री मुख्य मांगों को लेकर के हम धरना दे रहे हैं। अगर समय रहते हमारी जायज मांगों को सरकार व प्रशासन के द्वारा नहीं मानी जाती हैं तो हम धरने को और भी उग्र करेंगे वह भूख हड़ताल भी करेंगे।
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