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तब ब्रिटिश सरकार को चिंता थी अजमेर की, हमें नहीं है कोई परवाह

































फॉयसागर झील इन दिनों पानी चोरों तथा मिट्टी की अवैध खुदाई करने वालों के निशाने पर है। पानी चोर झील के पानी को टैंकरों के जरिए अवैध रूप से भरकर चांदी काट रहें हैं। झील के भराव क्षेत्र में जमकर मिट्टी की खुदाई कर इसे भी बेचा जा रहा है। पानी चोरी के लिए झील के किनारे स्थायी रूप से पम्प सेट लगाए गए हैं जबकि कि टैंकर चालक अपने टैंकर के पीछे ही पम्प सेट लगा कर लाते हैं इनके जरिए अवैध रूप से झील का पानी भरा जाता है। इससे झील का जलस्तर लगातार घट रहा है।
झील के भराव क्षेत्र में लगातार अतिक्रमण हो रहे हैं। बरसाती पानी आने के रास्ते भी अवैध निर्माण की भेंट चढ़ गए हैं। फॉयसागर के भरने के बाद इसका पानी ओवरफ्लो होकर बांडी नदी के जरिए आना सागर में आता था। झील में पानी की आवक कम होने साथ ही बांडी नदी भी सूख गई है। अब इसके अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगा है। आर.के.पुरम, ज्ञान विहार सहित अन्य कॉलोनियों में लोंगों नें बांडी नदी की भूमि पर अतिक्रमण कर मकान बना लिए हैं। पूर्व में एडीए ने बांडी नदी का सर्वे कर 58 अतिक्रमण चिह्नित किए थे।
यह है फॉयसागर झील का इतिहास
पेयजल किल्लत को देखते हुए सात किलोमीटर दूर फॉयसागर झील झील का निर्माण कराया गया था। इसका निर्माण वर्ष 1891-92 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने अकाल राहत कार्य के दौरान कराया था। यह कार्य तत्कालीन लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता इंजीनियर फॉय की देखरेख में हुआ था। उस वक्त झील के निर्माण में करीब 2 लाख 69 हजार रुपए की लागत आई थी।
24 फीट है गहराई
फॉयसागर झील की गहराई 24 फीट है। इसमें बांडी नदी और नाग पहाड़ी से बहकर बरसात का पानी पहुंचता है। बारिश के दौरान झील के चारों तरफ मनोरम प्राकृतिक वातावरण रहता है। इसका पानी ओवर फ्लो होने के बाद आनसागर झील में पहुंचता है।
कभी होता था पानी सप्लाई
फॉयसागर झील से कई साल तक अजमेर और आसपास के लोगों को पानी सप्लाई भी किया जाता था। कम बरसात के चलते झील कई साल से अपने पूर्ण भराव क्षमता तक नहीं पहुंच पाई है। इसके लिए अतिक्रमण भी काफी हद तक जिम्मेदार है। यहां से चोरी-छिपे अवैध पम्प सेट से टैंकर में पानी भरा जाता है।
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